वाराणसी। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिवस रविवार को वाराणसी का वातावरण आस्था और भक्ति से सराबोर हो गया। पूरे काशी में सुबह से ही भक्तिमय माहौल रहा। तड़के गंगा स्नान कर श्रद्धालुओं ने व्रत-उपवास की शुरुआत की और माता दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की आराधना की। प्रथम दिवस पर सबसे अधिक आकर्षण अलईपुर स्थित माता शैलपुत्री मंदिर रहा। सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। घंटों पहले से ही कतारों में खड़े भक्त माता के दर्शन करने के लिए इंतजार करते रहे। वैदिक मंत्रोच्चार, ढोल-नगाड़ों की गूंज और जय माता दी के उद्घोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। मंदिर में विशेष सजावट की गई थी। माता का श्रृंगार पुष्पों, चुनरी और आभूषणों से अलौकिक रूप में किया गया। सुबह की मंगल आरती और घटस्थापना के समय पूरा परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था। परिवार सहित आए भक्तों ने नारियल, फल-फूल और प्रसाद अर्पित कर सुख-समृद्धि व कल्याण की कामना की। मंदिर समिति की ओर से भक्ति गीत और दुर्गा चालीसा पाठ का भी आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं और बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।माता शैलपुत्री की आराधना का विशेष महत्व बताया गया। धर्मगुरुओं का कहना है कि नवरात्र के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में धैर्य, स्थिरता और उन्नति की प्राप्ति होती है। भक्तों का विश्वास है कि माता का आशीर्वाद उनके जीवन से संकटों का निवारण कर मार्ग को प्रशस्त करता है। भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतज़ाम किए थे। मंदिर परिसर और आसपास के मार्गों पर पुलिस बल की तैनाती की गई। नगर निगम ने सफाई और प्रकाश व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया, जिससे श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो।नवरात्र के पहले ही दिन की भव्यता ने यह संकेत दिया कि आने वाले नौ दिनों तक काशी भक्ति और उत्साह के रंग में डूबी रहेगी। नवरात्र के क्रम में प्रतिदिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना होगी। भक्त अब दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना के लिए उत्साहित दिखाई दे रहे हैं।काशीवासियों का कहना है कि नवरात्र महज एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने और सामूहिक आस्था को व्यक्त करने का सबसे बड़ा अवसर है। यही कारण है कि नवरात्र शुरू होते ही काशी का कण-कण देवी भक्ति में रंगा दिखाई देता है।