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धूं धूं कर जली सोने की लंका, गूंज उठा जयकारा

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औराई। विजयादशमी की ओर बढ़ते हुए रामलीला मंचन में जैसे-जैसे लीला चरमोत्कर्ष पर पहुंच रही है, भक्तों का उत्साह और भक्ति भाव भी चरम सीमा पर दिखाई दे रहा है। शनिवार की रात क्षेत्र के अमीर पट्टी स्थित मारुति धाम हनुमान मंदिर, कोठरा हनुमान मंदिर, घोसिया नगर पंचायत और उगापुर सहित कई स्थानों पर रामलीलाओं में ‘लंका दहन’ का दृश्य बड़े ही अद्भुत और रोमांचकारी अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया।श्री स्वामी रामानंद मारुति नंदन रामलीला समिति की ओर से आयोजित मंचन में अभिनयकर्ताओं ने अपने सजीव अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। लीला में दिखाया गया कि माता सीता की खोज में प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और सुग्रीव की भेंट होती है और अग्नि को साक्षी मानकर दोनों एक-दूसरे की सहायता का संकल्प लेते हैं। इसके बाद सुग्रीव के आदेश पर हनुमान, अंगद, जामवंत, नल-नील सहित अन्य योद्धा समुद्र पार कर लंका पहुंचने की योजना बनाते हैं।हनुमान का विराट रूप और अशोक वाटिका में माता सीता से भेंट का दृश्य इतना भावपूर्ण रहा कि दर्शक दीर्घा से बार-बार “जय श्रीराम” और “जय बजरंगबली” के जयकारे गूंजते रहे। मां सीता को प्रभु श्रीराम की अंगूठी सौंपने के बाद जब हनुमान ने रावण को समझाया और वह नहीं माना, तो रावण ने क्रोधवश उनकी पूंछ में आग लगवा दी। इसी आग से जब हनुमान ने पल भर में सोने की लंका को धूं-धूं कर जला डाला, तो मंचन देखते ही दर्शकों में भी रोमांच की लहर दौड़ गई। सोने की नगरी जलते ही चारों ओर अफरा-तफरी और हाहाकार मच गया। मंच पर जहां राक्षसों के भागने का दृश्य दिखाया गया, वहीं दर्शकों ने भी रावण को आतताई और दुराचारी कहकर उसका विरोध जताया और “राम नाम सत्य है” की गूंज के बीच रामभक्ति में डूबकर अपने-अपने घर लौटे। भक्तों का कहना था कि ऐसा सजीव मंचन देखकर मानो सचमुच त्रेता युग जीवंत हो उठा हो।

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