चंदौली जनपद की पुलिस ने पशु तस्करी के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है, जिसमें 29 पशुओं को क्रूरतापूर्वक तस्करी से बचाया गया है और चार तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई, जो कि एक ही दिन में दो अलग-अलग घटनाओं में हुई, पशु तस्करों के नेटवर्क पर एक बड़ा प्रहार है।पुलिस की सक्रियता और त्वरित कार्रवाई ने न केवल पशुओं को एक क्रूर नियति से बचाया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि चंदौली पुलिस इस प्रकार के अपराधों के प्रति पूरी तरह सतर्क है। पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे के निर्देशों के बाद, अपर पुलिस अधीक्षक अनन्त चन्द्रशेखर और क्षेत्राधिकारी देवेन्द्र कुमार के कुशल मार्गदर्शन में, प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार सिंह के नेतृत्व में गठित पुलिस टीमों ने इस अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।इस कार्रवाई का पहला मामला मझवार रेलवे स्टेशन के पास सामने आया, जहाँ पुलिस टीम संदिग्ध वाहनों की जाँच कर रही थी। इसी दौरान मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर, एक बोलेरो गाड़ी (UP63X4819) को रोका गया। जाँच करने पर, पुलिस ने पाया कि इस वाहन में तीन गोवंशों को अत्यंत क्रूरतापूर्वक और अमानवीय तरीके से भरा गया था। इन पशुओं को वध के लिए पश्चिम बंगाल ले जाया जा रहा था। इस दौरान, पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनकी पहचान इकबाल कुरैशी और अनवर अंसारी के रूप में हुई। दोनों आरोपी बिहार के भभुआ (कैमूर) जिले के निवासी हैं। पूछताछ में उन्होंने खुलासा किया कि वे इन पशुओं को मिर्जापुर के विंध्याचल से लादकर बिहार के रास्ते पश्चिम बंगाल ले जा रहे थे, जहाँ उन्हें बेचकर उन्हें मोटा मुनाफा मिलता है। पुलिस को सूचना मिली थी कि एक ट्रक BR24 GD 1917 में भारी संख्या में भैंसों को क्रूरतापूर्वक भरकर उन्नाव ले जाया जा रहा है। सूचना मिलते ही पुलिस टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ट्रक को रोक लिया। ट्रक की तलाशी के दौरान, पुलिस ने 26 भैंसों को अमानवीय परिस्थितियों में ठूंसकर भरा हुआ पाया। इसके साथ ही, पुलिस ने दो चापड़ (धारदार हथियार) भी बरामद किए। इस मामले में, पुलिस ने दो आरोपियों, रिजवान और आजाद को गिरफ्तार किया। ये दोनों भी बिहार के रोहताश जिले के रहने वाले हैं।ये गिरफ्तारियां और पशुओं की बरामदगी चंदौली की दक्षता और समर्पण का प्रमाण हैं। इस कार्रवाई में शामिल पुलिस टीम में प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार सिंह, उप-निरीक्षक देवेन्द्र बहादुर सिंह, उप-निरीक्षक रावेन्द्र सिंह, हेड कांस्टेबल धीरेन्द्र यादव और कांस्टेबल रुपेश दुबे जैसे अधिकारी शामिल थे, जिन्होंने इस बड़ी सफलता को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।ये घटनाएँ दर्शाती हैं कि पशु तस्करी का नेटवर्क कितना संगठित है और तस्कर किस तरह से पशुओं के जीवन को खतरे में डालकर आर्थिक लाभ कमाने की कोशिश करते हैं। चंदौली पुलिस की यह कार्रवाई निश्चित रूप से ऐसे अपराधों पर लगाम लगाने में सहायक होगी और पशु क्रूरता के खिलाफ एक मजबूत संदेश देगी।
