मनीष श्रीवास्तव की रिपोर्ट
वाराणसी महानगर के होटल किंग्स बनारस लंका में काशी की अंतर्राष्ट्रीय हास्य कवयित्री डॉ. पूर्णिमा भारती के पुण्य तिथि के अवसर पर साहित्यिक संस्था रसवर्षा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.चकाचौध ज्ञानपुरी के प्रमुख संयोजन और उत्तर प्रदेश पत्रकार परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश मिश्रा के स्वागत संयोजन में काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रख्यात ग़ज़लकार डॉ. अत्रि भारद्वाज के अध्यक्षता में अखिल भारतीय लेखक कवि कलाकार परिषद् के संस्थापक कवि इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक के संचालन में काव्यो त्सव का शुभारंभ हास्य कवि चकाचक बनारसी के सुपुत्र प्रेम दीप श्रीवास्तव एवं लाल बहादुर शास्त्री पोस्ट ग्रेजुएट कालेज दीनदयाल उपाध्याय नगर चंदौली की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.इशरत ने माल्यार्पण डॉ. पूर्णिमा भारती के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के पश्चात् कवि सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध के वाणी वन्दना से मां शारदे मेरी वाणी को संवार दे,नव नगद ना तेरह उधार चाहिए, आपका मुझे तो बस प्यार चाहिए, ऐसे वैसे चलोगे तो डूब जाओगे, मंजिल पाने को संस्कार चाहिए से प्रारम्भ हुआ। शायर अहमद आज़मी ने एक -एक पर मुझे कितना महफूज है,तेरी यादों का मातम भी बहुत खूब है, हास्य कवि बद्री विशाल ने किधर है भोर कहो भी किधर सबेरा है, कोई चराग जलाओ बहुत अंधेरा है, गोपाल केशरी ने खुश्बू वही है आज भी मेरे गुलाब में, संभाल के रखा हूं जो दिल के किताब में, गिरीश पाण्डेय काशिकेय ने इश्क होता है या नहीं होता रास्ता तीसरा नहीं होता, परमहंस तिवारी परम ने जगह -जगह खुलल दारु क दुकान बा खूब पियल आसान बा ना,आशिक बनारसी ने आशिकी की राह में,हद से गुजर कर देखिए, जिंदगी के नाम पर,इक बार मरकर देखिए, डॉ. अशोक राय अज्ञान ने जो सीखना है उसको घर से ही सीख लो, घर से नहीं अच्छा कोई स्कूल मिलेगा, डॉ. कुमार महेन्द्र ने जनम लिहलै मुरारी,बधाई बाजै, प्रवीण पाण्डेय ने मैं तो इतने में ही बहुत खुश था वो हंसती मुस्कुराती थी, डा.सुशील पाण्डेय ने खता गद्दारी ना दोस्ती में, आनन्द कृष्ण मासूम ने इतना क्या पढ़ना जीवन में कि बचपन ही मारा जाये,राज बनारसी ने तुम भी खुद को संभाले हुए हो,हम भी खुद को संभाले हुए हैं, चिंतित बनारसी ने मरने का सिलसिला तो बन्द किजिए, वरना जनाजा मेरा फिर कौन उठाएगा, धर्मेन्द्र गुप्त साहिल ने उम्र उनका इन्तजार किया,थक के वो तन्हाईयों से प्यार किया, प्रोफेसर – डॉ. इशरत जहां ने ज़िन्दगी मौत इक हादसा होती है, अन्त में मंजिल तो परवरदिगार के यहां ही मिलती है, मुख्य अतिथि मुम्बई से पधारी फिल्म मेकर एवं लेखिका पंचशीला ने डॉ. पूर्णिमा की याद जब आती हैं, अंतरात्मा झनझनाती है, तुम इतना जल्दी पूर्णिमा की चांद हो गयी,हम सब की यादों में खो गई, प्रमुख संयोजक डॉ. चकाचौंध ज्ञानपुरी ने पूर्णिमा तमाम हो गयी,सूरज और चांद हो गयी,हम सब तो यहां हैं, तुम कहां खो गयी, काव्य लक्ष्मीकांत उपाध्याय, विंध्याचल पाण्डेय सगुन, कुमार महेन्द्र , शम्भू श्रीवास्तव, शैलेन्द्र अम्ब षट,सुनील सिंह राजपूत,पवन कुमार, ने भी काव्य पाठ और सम्बोधन किया।संचालक इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक ने भीगी पलकें लुप्त हो चुकी अब उनकी आवाज, अपने धुन की माहिर थी डॉ. पूर्णिमा जी, हास्य -व्यंग की थी सरताज, कार्यक्रम संयोजक राजेश मिश्रा- पत्रकार ने डॉ. पूर्णिमा भारती के स्मृतियों का बखान करते हुए कहा कि डॉ. पूर्णिमा भारती जी साहित्यिक हास्य -व्यंग पूर्णिमा की चांदनी थी।जिनका कृतित्व एवं व्यक्तित्व आजीवन नहीं भुलाया जा सकता। विशिष्ट अतिथि दिव्य दर्शन ज्योतिष केन्द्र काशी के आचार्य त्रिवेणी प्रसाद शुक्ल ने शांति पाठ किया।
अध्यक्षता करते हुए डॉ. अत्रि भारद्वाज ने कहा कि डॉ. पूर्णिमा भारती हरदिल अजीज सरल हृदय मृदुभाषी थी। हास्य व्यंग के क्षेत्र में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर तक धूम मचाया था।ऐसी श्रेष्ठ शब्द संचिनी के पुण्य तिथि के अवसर पर राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक के रचनाकारों का उनके पुण्य तिथि के अवसर पर सहभागी बनना स्पष्ट प्रमाण है।
स्वागत संबोधन राजेश मिश्रा- पत्रकार, संचालन कवि इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक एवं धन्यवाद आभार डॉ. चकाचौंध ज्ञानपुरी ने अश्रुपूरित होकर समस्त आगंतुक जनों के प्रति किया। आयोजन के अन्त में दो मिनट मौन रखकर हास्य कवि डॉ. नागेश शांडिल्य की माता जी रघुवंशी देवी जी की मृत आत्मा की शांति की ईश्वर से कामना किया गया।