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भक्ति का द्वार खोलता है निष्कपट भाव : बालव्यास ,श्रीभाई जी जयंती महोत्सव के चौथे दिन श्रीराम कथा में उमड़ा आस्था का प्रवाह

 

 

वाराणसी।“जब भक्त अपने हृदय से कपट, दिखावा और अहंकार को त्यागकर केवल निष्कपट भाव से भगवान के गुणों का गान करता है, तभी दयालु श्रीराम उसे अपनी भक्ति का वरदान देते हैं।” यह संदेश झांसी से पधारे सुप्रसिद्ध कथा प्रवक्ता बालव्यास पंडित शशिशेखर जी महाराज ने बुधवार को दिया। वे दुर्गाकुंड स्थित श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंधविद्यालय सभागार में आयोजित श्रीभाई जी जयंती महोत्सव के चौथे दिन श्रीराम कथा का अमृतपान करा रहे थे। बालव्यास जी ने कहा कि संसार के सभी जीवों में ईश्वर को देखना ही समभाव दृष्टि है। जो कुछ भी जीवन में प्राप्त हो उसमें संतोष करना, दूसरों में दोष न देखना और छल-प्रपंच से दूर सरल एवं सच्चे हृदय से व्यवहार करना ही सच्ची भक्ति का आधार है। उन्होंने बताया कि श्रीराम कथा श्रवण से मानव जीवन में सद्भावना का संचार होता है और व्यक्ति को सुख एवं परमानंद की अनुभूति होती है। उन्होंने आगे कहा कि प्रभु श्रीराम स्वयं कहते हैं—“जिसके जीवन में भक्ति आ जाती है, वही मुझे सबसे प्रिय है।” भक्ति के आगमन से ही मनुष्य का आध्यात्मिक एवं भौतिक उत्थान संभव होता है।कार्यक्रम का शुभारंभ व्यासपीठ पूजन एवं माल्यार्पण से हुआ। यह पूजन कृष्ण कुमार जालान और अखिलेश खेमका द्वारा संपन्न किया गया। कथा श्रवण के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। इस अवसर पर श्याम सुंदर प्रसाद, नागर प्रसाद दाधिच, राकेश गोयल, अनिल झंवर, विजय कुमार मिश्र, नीरज दुबे सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

 

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